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शिक्षा सभी के जीवन में महान भूमिका निभाती है।

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 Jitendra_ka_panah -शिक्षक कला व साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ एक बहुआयामी संस्था है ,जिनका उद्देश्य शिक्षक व छात्रों के सर्वांगीण विकास करने के साथ साथ उनके प्रतिभाओं को उचित मंच प्रदान करना एवं सम्मानित करना है,शिक्षक कला व साहित्य अकादमी शिक्षा,संस्कृति, साहित्य,खेल,आदि के विकास के लिए लगातार कार्य कर रहा है।गणतंत्र दिवस,विज्ञान दिवस,विद्यार्थी दिवस,आदि महत्वपूर्ण दिवस,एवं महापुरुषों के जयंती आदि पर चर्चा एवं परिचर्चा आयोजित किया जाता है।साहित्यिक क्षेत्रो के प्रतिभाओं को लगातार मंच प्रदान कर उनको सम्मानित करने का कार्य अकादमी ने किया है।वर्तमान समय मे वैश्विक महामारी कोरोना के कारण देश के सभी स्कूल,महाविद्यालय, शैक्षणिक संस्थान बन्द है ,इस अवधि में  शासन द्वारा ऑनलाइन क्लास,वर्चुअल क्लास के माध्यम से विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान किया जा रहा है। शिक्षक कला व साहित्य अकादमी छ ग ने भी प्रदेश स्तर पर ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी,करियर मार्गदर्शन, के माध्यम से सभी छात्र छात्राओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी एवं शैक्षणिक गतिविधियों से जोड़े रखने का प्रयास किया है।जिसमे शिक्षा विभाग के अध...

एक प्रयास

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Panahjitendra.in जांजगीर--कोरोना काल मे स्कूल,महाविद्यालय एवं शैक्षणिक संस्थान पूरी तरह बन्द है ऐसे में पढ़ाई जारी रखने के लिये शासन के द्वारा  पढ़ई तुंहर द्वार के तहत ऑनलाइन क्लास से अध्यापन कार्य सतत रूप से जारी है।जिससे बच्चे जुड़कर इसका लाभ ले रहे है। कुछ क्षेत्रो में  कम नेटवर्क एवं कई छात्रों के पालक के  पास स्मार्टफोन न होने एवं कीपैड मोबाइल होने से समस्या आ रही है जिसके कारण कुछ की पैड मोबाइल वाले छात्र ऑनलाइन क्लास से नहीं जुड़ पा रहे है।छात्रों के अधिकतर पालक किसान एवं मजदूर है जो दिन में मोबाइल लेकर काम मे चले जाते है   ऐसे में कीपैड मोबाइल वाले छात्रों को फ्री कॉम्फ्रेन्स काल के माध्यम से प्रतिदिन उनके व  पालको की सुविधानुसार शाम 7 से 8 बजे तक पढा रहा हूँ ,जो कि पूरी तरह से सुरक्षित एवं फ्री है।जिससे बच्चे उत्साह के साथ  कॉम्फ्रेन्स कॉल में जुड़ते है एवं अध्यापन कार्य करते है साथ ही गीत, कविता,बाल कहानी, बूझो तो जाने आदि भी आयोजित कर रहा हूँ।आप सभी का मार्गदर्शन एवं  सुझाव आमंत्रित है।

आखिर संगठित रहे क्यो

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एक अच्छा सभ्य और मज़बूत समाज स्थापित करने के लिए सिर्फ शिक्षित होना ही ज़रूरी नहीं साथ ही संगठित होना बहुत आवश्यक है क्योकि जब तक एक जुट नहीं होंगे, संगठित होने की विचारधारा से जुड़ेंगे नहीं तब तक एकता नहीं हो सकती न ही आगे बढ़ सकते हैं न कोई लड़ाई लड़ सकते है।

करिया बादर

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Panah, kavita कब तक रइहि करिया बादर दिन अंजोर के घलु आहि रे।   मन ल तोर कमजोर झिन करबे, दुख के बादर ह छंटा जाहि रे।। कोनो नई बचाय एखर छांव ले, दुनिया ले भला आउ कहा लुकाहि  रे।। करम ल जेसना करहि तेसना। फल घालु ल पाहि रे।। कब तक रइहि करिया बादर, दिन अंजोर के घलु आहि रे।   मन ल तोर कमजोर झिन करबे, दुख के बादर ह छंटा जाहि रे।। उफरय झन कोनो पइसा , शरीर आउ ताकत म,। एक दिन जम्मो सिराहि रे।। करहि कमजोर के अत्याचार त, हिरदे के आशीष कहा पाहि रे,।। आउ होही पाप पुन्य के लेखा जोखा, हिसाब इन्हेच कराही रे।। कोंन देखे हे सरग नरग ल, इन्हें सरग आउ नरग बन जाहि रे।। सब बर बराबर परकृति के नियम माटी म सबो झन मिल जाहि रे।।  कब तक रइहि करिया बादर, दिन अंजोर के घलु आहि रे।