करिया बादर

Panah, kavita

कब तक रइहि करिया बादर

दिन अंजोर के घलु आहि रे।

 

मन ल तोर कमजोर झिन करबे,

दुख के बादर ह छंटा जाहि रे।।


कोनो नई बचाय एखर छांव ले,


दुनिया ले भला आउ कहा लुकाहि  रे।।


करम ल जेसना करहि तेसना।

फल घालु ल पाहि रे।।


कब तक रइहि करिया बादर,

दिन अंजोर के घलु आहि रे।

 

मन ल तोर कमजोर झिन करबे,

दुख के बादर ह छंटा जाहि रे।।


उफरय झन कोनो पइसा , शरीर आउ ताकत म,।

एक दिन जम्मो सिराहि रे।।


करहि कमजोर के अत्याचार त,

हिरदे के आशीष कहा पाहि रे,।।


आउ होही पाप पुन्य के लेखा जोखा,

हिसाब इन्हेच कराही रे।।


कोंन देखे हे सरग नरग ल,

इन्हें सरग आउ नरग बन जाहि रे।।


सब बर बराबर परकृति के नियम

माटी म सबो झन मिल जाहि रे।।


 कब तक रइहि करिया बादर,

दिन अंजोर के घलु आहि रे।

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