झन भुलाहु ग....
झन भूलाहु ग, झन भुलाहु.....
झन भूलाहु ग, झन भुलाहु.....
कोदो कुटकी रागी ल,
पेज पसिया बासी ल।
धनहा खार मटासी ल,
नागर बईला बियासी ल।।
झन भूलाहू।
झन भूलाहु ग, झन भुलाहु.....
झन भूलाहु ग, झन भुलाहु.....
बरछा टिकरा बारी ल,
राल राल लगे कुशियारी ल।
गोंदा फूल फुलवारी ल,
अगहन के जाड़ मोटियारी ल।।
झन भूलाहु...
झन भूलाहु ग, झन भुलाहु.....
मेला ठेला बताशा लाई ल,
रिकिम रिकीम के खजाना खाई ल।
किराया के साईकिल सिखाई ल,
आऊ पहिने चप्पल हवाई ल।।
झन भूलाहु.....
झन भूलाहु ग, झन भुलाहु.....
कोदो कुटकी रागी ल,
पेज पसिया बासी ल।
धनहा खार मटासी ल,
नागर बईला बियासी ल।।
झन भूलाहू।
झन भूलाहु ग, झन भुलाहु.....
झन भूलाहु ग, झन भुलाहु.....
आषाढ के जबर गर्रा ल,
जेठ नवतप्पन के भर्रा ल।
पाईडिल म लगे छर्रा ल,
खांसी के भूंजे हर्रा ल।।
झन भूलाहु.....
झन भूलाहु ग, झन भुलाहु.....
जेठवनी के पारे पांव ल,
मया पिरित के छांव ल।
नानपन के बढ़ोय नांव ल,
खेल म पदोय दांव ल।।
झन भूलाहु....
झन भूलाहु ग, झन भुलाहु.....
सोनहा भुइंया गांव के माटी ल,
पैरपट्टी पांव के साटी ल।
सियान मन के गोठ खांटी ल,
बईध के गोली बाटी ल।।
झन भूलाहु.....
झन भूलाहु ग, झन भुलाहु.....
कोदो कुटकी रागी ल,
पेज पसिया बासी ल।
धनहा खार मटासी ल,
नागर बईला बियासी ल।।
झन भूलाहु...
झन भूलाहु ग, झन भुलाहु.....
झन भूलाहु ग, झन भुलाहु.....
जितेन्द्र कुमार रत्नाकर
"अमोरहिया"
अमरूवा, (सारागांव)
18अप्रैल 2021

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